Tuesday, June 5, 2012

Essence of Murli 05-06-2012

Essence: Sweet children, you Brahma’s mouth-born progeny, Brahmins, must definitely follow shrimat in order to claim your full inheritance from the unlimited Father for 21 births.

Question: What preparations are you children making? What is your plan?

Answer: You are making preparations to go to the land of immortality. Your plan is to change Bharat into heaven. You are engaged in the service of changing Bharat into heaven through your mind, your body and your wealth. You are the Father’s complete helpers. Your new kingdom is being established through the power of non-violence, whereas human beings are making plans for destruction.

Song: Mother, o Mother! You are the Bestower of Life for all.

Essence for dharna:
1. Be true Brahmins and take care of this Rudra gyan yagya. Just as corporeal Brahma becomes subtle, make effort to become subtle in the same way.
2. In order to become happy for 21 births, promise the Father that you will remain pure for this one birth. Leave the pyre of lust and sit on the pyre of knowledge. You must definitely follow shrimat.

Blessing: May you become master trikaldarshi and perform every action knowing the consequences of each action because of being knowledge-full.

Trikaldarshi children perform every action knowing the consequence of that action. They never say, “It should not have happened, but it happened”. “I should not have said that, but I just said it.” This proves that you do not know the consequences of your actions and simply performed those actions out of innocence. It is good to be innocent but be innocent in your heart: do not be innocent in situations and actions. For that, become trikaldarshi as you listen to and speak about anything, for only then would you be said to be a saint, a great soul.

Slogan: Instead of copying one another, copy the Father and you will become an elevated soul. 

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को बेहद के बाप से 21 जन्मों का पूरा वर्सा लेने के लिए श्रीमत पर जरूर चलना है''

प्रश्न: तुम बच्चे कौन सी तैयारी कर रहे हो? तुम्हारा प्लैन क्या है?

उत्तर: तुम अमरलोक में जाने के लिए तैयारी कर रहे हो। तुम्हारा प्लैन है भारत को स्वर्ग बनाने का। तुम अपने ही तन-मन-धन से इस भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लगे हो। तुम बाप के साथ पूरे मददगार हो। अहिंसा के बल से तुम्हारी नई राजधानी स्थापन हो रही है। मनुष्य तो विनाश के लिए प्लैन बनाते रहते हैं।

गीत:- माता ओ माता...

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन इस रूद्र ज्ञान यज्ञ की सम्भाल भी करनी है और साथ-साथ जैसे व्यक्त ब्रह्मा अव्यक्त बनता है, ऐसे अव्यक्त बनने का पुरूषार्थ करना है।
2) 21 जन्मों तक सुखी बनने के लिए इस एक जन्म में बाप से पावन रहने की प्रतिज्ञा करनी है। काम चिता को छोड़ ज्ञान चिता पर बैठना है। श्रीमत पर जरूर चलना है।

वरदान: नॉलेजफुल बन हर कर्म के परिणाम को जान कर्म करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव

त्रिकालदर्शी बच्चे हर कर्म के परिणाम को जानकर फिर कर्म करते हैं। वे कभी ऐसे नहीं कहते कि होना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया, बोलना नहीं चाहिए था, लेकिन बोल लिया। इससे सिद्ध है कि कर्म के परिणाम को न जान भोलेपन में कर्म कर लेते हो। भोला बनना अच्छा है लेकिन दिल से भोले बनो, बातों में और कर्म में भोले नहीं बनो। उसमें त्रिकालदर्शी बनकर हर बात सुनो और बोलो तब कहेंगे सेंट अर्थात् महान आत्मा।

स्लोगन: एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो तो श्रेष्ठ आत्मा बन जायेंगे। 


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