Tuesday, August 21, 2012

Essence of Murli 21-08-2012

Essence: Sweet children, the sweet Father has come to remove you from this bitter world and to make you sweet. Therefore, become very, very sweet. 

Question: Why do you children dislike this old world? 

Answer: Because this world has become the extreme depths of hell. Everyone within it is bitter. Impure ones are called bitter. All are floundering in the river of poison. This is why you dislike it. 

Question: People make two mistakes in one of the questions they ask. What is the question and what are the mistakes? 

Answer: People ask: How can my mind become peaceful? This is the first mistake because until a soul becomes separated from the body, how could he receive peace? The second mistake they make is when they say that God has many forms and omnipresent. If God is omnipresent, then who is it that needs peace and who can give it? 

Essence for dharna: 
1. Stay in remembrance of the Father and eat pure food. Take great precautions about anything impure. Follow Mama and Baba and make effort to become pure. 
2. Wake up early in the morning and remember the sweet Father and the sweet kingdom. Settle all your karmic accounts at this time of settlement with remembrance of the Father. 

Blessing: May you be one who has determined thoughts and keeps the flag of the Father’s revelation hoisted in your heart at every moment. 

Just as it enters everyone’s heart because of love that they definitely have to reveal the Father, in the same way, hoist the flag of revelation in your heart through your thoughts, words and deeds. Constantly perform the dance of happiness, not that you are sometimes happy and sometimes sad. Imbibe such a determined thought, that is, make a vow that for as long as you live, you are going to remain happy. Let the song automatically continue to be played, “Sweet Baba, lovely Baba, my Baba” and the flag of revelation will begin to fly. 

Slogan: In order to become a destroyer of obstacles become full of all powers. 


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - स्वीट बाप आया है तुम बच्चों को इस कडुवी दुनिया से निकाल स्वीट बनाने, इसलिए बहुत-बहुत स्वीट (मीठे) बनो'' 

प्रश्न: अभी तुम बच्चों को इस पुरानी दुनिया से नफ़रत क्यों आई है? 

उत्तर: क्योंकि यह दुनिया कुम्भी पाक नर्क बन गई है, इसमें सब कडुवे हैं। कडुवा पतित को कहा जाता है। सब विषय वैतरणी नदी में गोता खाते रहते हैं, इसलिए तुम्हें अब इससे नफ़रत आती है। 

प्रश्न:- मनुष्यों के एक ही प्रश्न में दो भूलें हैं, वह कौन सा प्रश्न और कौन सी भूलें? 

उत्तर:- मनुष्य कहते हैं मेरे मन को शान्ति कैसे हो? इसमें पहली भूल मन शान्त कैसे हो सकता - जब तक वह शरीर से अलग न हो और दूसरी भूल जबकि कहते हैं ईश्वर के सब रूप हैं, परमात्मा सर्वव्यापी है फिर शान्ति किसको चाहिए और कौन दे? 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप की याद में रह पवित्र, शुद्ध भोजन खाना है। अशुद्धि से बहुत-बहुत परहेज रखनी है। मम्मा बाबा को फालो कर पवित्र बनने का पुरूषार्थ करना है। 
2) सवेरे-सवेरे उठ स्वीट बाप को और स्वीट राजधानी को याद करना है। इस कयामत के समय में बाप की याद से ही सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। 

वरदान: हर समय अपने दिल में बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने वाले दृढ़ संकल्पधारी भव 

जैसे स्नेह के कारण हर एक के दिल में आता है कि हमें बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। ऐसे अपने संकल्प, बोल और कर्म द्वारा दिल में प्रत्यक्षता का झण्डा लहराओ, सदा खुश रहने की डांस करो, कभी खुश, कभी उदास-यह नहीं। ऐसा दृढ़ संकल्प अर्थात् व्रत धारण करो कि जब तक जीना है तब तक खुश रहना है। मीठा बाबा, प्यारा बाबा, मेरा बाबा - यही गीत आटोमिटिक बजता रहे तो प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने लगेगा। 

स्लोगन: विघ्न विनाशक बनना है तो सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनो। 


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